आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

बुधवार, मार्च 31, 2010

अंडमान में रिमझिम-रिमझिम बारिश

रिमझिम-रिमझिम बारिश तो मुझे बहुत भाती है. आज इन्तजार पूरा हुआ. अंडमान में पहली बारिश आज हुई. कल रात को भूकंप और आज दोपहर में बारिश. भूकंप के समय तो मैं बिस्तर पर कूद रही थी, मुझे लगा कि मेरे कूदने से बिस्तर हिल रहा है. पर कुछ ही क्षण में पता चला कि यह भूकंप जी हैं, जो हमें झूला झुला रहे हैं...फिलहाल बारिश की बातें. अभी तो यहाँ भी थोड़ी-थोड़ी गर्मी पड़ने लगी थी, पर अब बारिश इसी तरह हुई तो मजा आ जायेगा. बारिश में यहाँ घूमने में भी मजा आयेगा. नो गर्मी, नो टेंशन. खूब घुमूंगी और मस्ती करूँगीं !!

मंगलवार, मार्च 30, 2010

पाखी ने बनाया चित्र

ये चित्र मैंने बनाया है. कैसा है...

शुक्रवार, मार्च 26, 2010

पाखी के जन्म-दिन की झलकियाँ

कल 25 मार्च को मेरा जन्म-दिन था. जमकर मस्ती की दिन भर. अभी तो अंडमान में आई हूँ, यहाँ स्कूल में अभी-अभी एडमिशन लिया है..15 अप्रैल से स्कूल खुलेगा..फिर मेरे भी नए-नए दोस्त. फ़िलहाल उनके बिना ही बड़ों के साथ बर्थ-डे का आनंद लिया. केक काटा, मिठाई, चाकलेट और आइस-क्रीम खाई ..साथ में डिनर बाहर होटल में. खूब सारे गिफ्ट भी मिले- प्यारी-प्यारी बार्बी गुड़िया, विडियो गेम, इंग्लिश लर्नर, टैडी बियर, मिकी माउस, पू, डोरा, हवा में उड़ने वाला हेलीकाप्टर, कलरिंग आइटम्स, सुन्दर-सुन्दर ड्रेस, सुन्दर सी गणेश जी की मूर्ति, छुक-छुक ट्रेन, सायकिल, हवाई-जहाज, नन्हाँ सा हाथी, पियानो..और भी बहुत कुछ, जो अभी खोलकर देखना है. आपने बर्थ-डे की कुछ फोटोग्राफ यहाँ लगा रही हूँ, बताइएगा कि कैसी लगीं-

ये रहा मेरा बर्थ-डे केक

अब केक काटने की तैयारी
ये काटा मैंने बर्थ-डे केक
हैपी बर्थ-डे टू पाखी...मम्मा-पापा ने खिलाया केक
अब आई उपहारों की बारी
उपहार में छोटी सी सायकिल भी

अब सभी लोग ग्रुप फोटोग्राफ के लिए तैयार
अरे आप लोग तो छूट गए...एक और ग्रुप फोटोग्राफ कैसी लग रही हैं हम लोग..क्यूट न
बड़े लोगों की बड़ी-बड़ी बातें (चीफ जनरल मैनजर, BSNL श्री डी.पी. परिहार अंकल, भूगोल-रीडर श्री एस. सी. चतुर्वेदी अंकल, पापा श्री के.के. यादव, द्वीप-लहरी के संपादक श्री व्यासमणि त्रिपाठी अंकल, डाक अधीक्षक श्री आदक अंकल)थोड़ी सी आइस-क्रीम मैं भी खा लूं
और ये रही मैं मम्मा-पापा के साथ

( इस पोस्ट की चर्चा मुस्कानों की सुंदर झाँकी (चर्चा मंच-103) के अंतर्गत भी देखें )





















































































गुरुवार, मार्च 25, 2010

बुधवार, मार्च 24, 2010

पोर्टब्लेयर के तीन खूबसूरत म्यूजियम की सैर

इस संडे को मैंने पोर्टब्लेयर (Portblair) में तीन खूबसूरत म्यूजियम देखे, तीनों एक से बढ़कर एक-एन्थ्रोपोलाजिकल म्यूजियम (Anthropological Museum), फिशरीज म्यूजियम (Fishries) और समुद्रिका नेवेल मरीन म्यूजियम (Naval Marine Museum). कहते हैं कि किसी जगह को समझना हो तो म्यूजियम से अच्छा कुछ नहीं हो सकता. एन्थ्रोपोलाजिकल म्यूजियम में मैंने देखा कि हमारे पूर्वज कैसे होते थे.
उनके बर्तन, हथियार इत्यादि भी मैंने देखे. अंडमान-निकोबार की जनजातियों के सम्बन्ध में भी यहाँ पर तमाम मजेदार जानकारियाँ मिलीं.सेंटीनली जनजाति का झोपड़ा भी देखा. आपको पता है सेंटीनली (sentineli) जनजाति से अभी भी लोग सम्बन्ध कायम नहीं कर पाते हैं, वे तीर-धनुष से हमला कर देते हैं।

एन्थ्रोपोलाजिकल म्यूजियम के बाद हम लोग फिशरीज म्यूजियम गए. यहाँ अन्दर फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है. यहाँ पर ढेर सारी मछलियाँ हैं. इसके अलावा डोल्फिन (Dolphin), शार्क (Shark), व्हेल (Whale) सहित अंडमान के राज्य-जीव समुद्री गाय (Dugong creek) के कंकाल भी यहाँ देखे जा सकते हैं. व्हेल का कंकाल तो इतना विशालकाय था कि मैं दंग रह गई. फिर हम समुद्रिका (नेवेल मरीन म्यूजियम) गए, यह हमारे घर के बगल में ही है.
समुद्रिका (नेवेल मरीन म्यूजियम) में प्रवेश करते ही वहां सबसे पहले व्हेल का विशालकाय कंकाल (Skeleton) दिखा. व्हेल का कंकाल तो इतना विशालकाय था कि मैं दंग रह गई.

खूबसूरत मछलियाँ और प्रवाल (Corals) तो और भी खूबसूरत लगते हैं.ये देखिये कछुए (Turtle) की मोटी खाल. अंडमान में चार तरह के कछुए मिलते हैं, इन्हीं में से ओलिवे-रिडले (Olive Ridley)भी हैं.खूबसूरत सीपियाँ और शंख तो बड़े मनभावन लगे.अंडमान-निकोबार (Andaman & Nicobar Islands) के आदिवासियों का एक चित्र यहाँ भी.भारत के एकमात्र जागृत ज्वालामुखी 'बैरन ज्वालामुखी' (Barren Volcano) का चित्र भी यहाँ दिखा। सुनामी (Tsunami) के दौरान यह पुन : जागृत हुआ था, फ़िलहाल 2006 से शांत है।
...तो मजेदार रहा न मेरा यह म्यूजियम-टूर और आप लोगों को भी मैंने बैठे-बैठे यहाँ की सैर करा दी। आप लोग भी यहाँ आइयेगा तो ये म्यूजियम जरुर घूमने जाइएगा और हाँ, पाखी को नहीं भूलियेगा !!















































































शनिवार, मार्च 20, 2010

मेरी नन्हीं गौरैया

मुझे गौरैया बहुत अच्छी लगती है। उसकी चूं-चूं मुझे खूब भाती है. कानपुर में थी तो हमारे लान में गौरैया आती थीं. उन्हें मैं ढेर सारे दाने खिलाती थी. दाने खाकर वे खुश हो जातीं और फुर्र से उड़ जातीं. हमारे लान में एक पुराना सा बरगद का पेड़ था, उस पर गौरैया व तोते खूब उधम मचाते. वहीँ एक बिल्ली भी थी, वह हमेशा उन्हें खाने की फ़िराक में रहती. उस बिल्ली को देखते ही मैं डंडे से मारने दौड़ती.


अब यहाँ अंडमान में आ गई हूँ तो उनकी याद आती है. मन करता है कि वे भी उड़ कर यहाँ आ जातीं तो कितना मजा आता. यहाँ हमारे घर के पीछे अंडमान टील हॉउस है. इन दोनों के बीच में खाई है, जहाँ ढेर सारे पेड़-पौधे हैं. रोज शाम को वहां चिड़ियों को देखती हूँ, पर कानपुर वाली गौरैया की अभी भी याद आती है। पता नहीं अब उसे कोई दाना खिलाता भी होगा या नहीं. पापा ने बताया आज 'विश्व गौरैया दिवस' है, तो मुझे अपनी गौरैया की और भी याद आई. मम्मी के साथ मिलकर एक प्यारा सा गीत बनाया. आप भी पढ़ें और अपनी राय दें-

उड़कर आई नन्हीं गौरैया
लान में हमारे।
चूं-चूं करते उसके बच्चे
लगते कितने प्यारे।

गौरैया रोज तिनका लाती
प्यारा सा घोंसला बनाती।
चूं-चूं करते उसके बच्चे
चोंच से खाना खिलाती।

सोमवार, मार्च 15, 2010

शुक्रवार, मार्च 12, 2010

आपका बचा खाना किसी बच्चे की जिंदगी है !!

यह सन्देश किसी ने मेरे मेल पर भेजा था। बड़ा अच्छा सन्देश मिला, सो आप सब भी इस पर गौर करें, आखिरकार बच्चे किसे अच्छे नहीं लगते. बच्चे मन के सच्चे...उन्हें सच्चाई की ओर बढ़ने में आप भी मदद करें क्योंकि पेट की भूख कई बार बच्चों को गलत रास्ते पर ले जाती है. कई बार ब्लॉग के माध्यम से हम दूसरों का भी हित कर सकते हैं, उन्हें कम से कम एक समय की रोटी दे सकते हैं और कभी-कभी जिंदगी भी !!

अगर आगे से कभी आपके घर में पार्टी/समारोह हो और खाना बच जाये या बेकार जा रहा हो तो बिना झिझके आप 1098 (केवल भारत में) पर फ़ोन करें। यह एक मजाक नहीं है। यह चाइल्ड हेल्पलाइन है. वे आयेंगे और भोजन एकत्रित करके ले जायेंगे।
***मदद करने वाले हाथ प्रार्थना करने वाले होंठो से अच्छे होते हैं***
!! कृप्या इस सन्देश को ज्यादा से ज्यादा प्रसारित करें इससे उन बच्चों का पेट भर सकता है !!

बुधवार, मार्च 03, 2010

गुब्बारे और खिलौने सस्ते...हुर्रे.


इस बार बजट में वित्त-मंत्री जी ने गुब्बारे व खिलौने सस्ते कर दिए हैं, सो मेरी तो बल्ले-बल्ले है. ढेर सारे गुब्बारे उड़ाउंगी और प्यारे-प्यारे खिलौने खरीदूंगी. आप भी मेरे साथ खेलना न भूलना !!

सोमवार, मार्च 01, 2010

टेंशन की बात : शेर, बाघ सब गायब


अपने देश में तेजी से बहुत सारे जीव-जंतुओं की संख्या कम होती जा रही है. पता नहीं जब तक हम बड़े होंगें ये देखने को मिलें या नहीं. लगता है कि हम उन्हें सिर्फ पुस्तकों में पढ़ेंगें तथा खिलौने के रूप में खेलेंगें. 2008 में हुई गणना के अनुसार देश में 359 शेर, 1411 बाघ, 2,358 गैंडे और 27,694 हाथी हैं. इसके बाद तो आज 2010 तक इनकी संख्या और भी कम हो गई होगी. इस साल अब तक 05 बाघों की मौत हो चुकी है. हम बच्चों के लिए यह बड़ी चिंता का विषय है कि यदि इसी तरह ये ख़त्म होते रहे तो हम इन्हें कैसे देख पायेंगें. डायनासोर जैसे जानवरों का उदाहरण हमारे सामने है. फ़िलहाल मैं तो अपने टाइगर के साथ खेलकर खुश हूँ, पर यह सब देखकर मेरे साथ मेरा टाइगर भी दुखी हो जाता है...!!