आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

रविवार, नवंबर 28, 2010

मम्मा-पापा की वेडिंग एनिवर्सरी

आज मम्मा-पापा के हैपी वेडिंग डे को 6 साल पूरे हो गए. आज हम लोग ददिहाल से बनारस और फिर कोलकात्ता पहुंचेंगें. लगता है मम्मा-पापा की वेडिंग एनिवर्सरी फ़्लाईट में या कोलकाता में ही मनेगी. पर सबसे बड़ी ख़ुशी वाली बात तो यह है कि कल हम सभी पोर्टब्लेयर में होंगे. मेरी छोटी बहन तो पहली बार पोर्टब्लेयर जा रही है. अब तो खूब मजा आयेगा. अब तो मम्मा-पापा की वेडिंग एनिवर्सरी पोर्टब्लेयर में ही सेलिब्रेट करेंगें !!


( चित्र में मम्मा-पापा की वेडिंग की फोटो है. इसमें मैं नहीं दिख रही हूँ ना. पहले इसके लिए मम्मा-पापा से खूब शिकायत करती थी कि मुझे क्यों नहीं अपनी वेडिंग-फंक्शन में बुलाया....)

मम्मा-पापा को 6th वेडिंग-एनिवर्सरी पर ढेर सारा प्यार और उपहार भी...हम दोनों की तरफ से !!

मंगलवार, नवंबर 23, 2010

नानी और मौसी के साथ मेरी नन्हीं सी बहना..

आपको तो मैंने बताया था ना कि मैं दीदी बन गई हूँ. हर कोई सोचता है कि मेरी प्यारी सी नन्हीं सी बहना को गोद में लेकर प्यार करे. अब देखों ना मौसी का, एक साथ ही दोनों को प्यार दे रही हैं-
और ये रहीं मेरी नानी जी, मेरी बहना को देखकर कित्ती खुश हो रही हैं.

गुरुवार, नवंबर 18, 2010

ननिहाल से ददिहाल...

आजकल अपने ननिहाल में नाना-नानी के साथ हूँ. मम्मा और मेरी छोटी बहन तो हैं ही. नाना-नानी के साथ खूब मस्ती करती हूँ. दिन भर धमाचौकड़ी. मेरा ननिहाल सैदपुर (गाजीपुर) में है. यह बनारस के पास है. कल मैं मम्मा और बहना के साथ ददिहाल (आजमगढ़) चली जाउंगी. अब तो पापा भी आने वाले हैं, हम सभी को पोर्टब्लेयर ले जाने के लिए. वह भी सोमवार तक आ जायेंगें. अभी तो बस पैकिंग हो रही है, हर चीज बिखरी हुई है. इधर मेरी पढाई भी काफी डिस्टर्ब हुई है.

मैं तो बहुत खुश हूँ. इतने दिनों में दादा-दादी, नाना-नानी, मौसा-मौसी, चाचू सभी का ढेर सारा प्यार मिला और अब पोर्टब्लेयर जाने की तैयारी. इस महीने के अंत तक हम पोर्टब्लेयर में होंगें. मुझे अपने घर, सायकिल, खिलौनों, टीचर जी और दोस्तों सभी की बहुत याद आती है. यहाँ तो ठण्ड पड़ने लगी है, पर पोर्टब्लेयर में मौसम भी अच्छा है. और हाँ, इस बीच इक अच्छी बात और हो गई कि बनारस और कोलकाता के बीच जेट की सीधी फ्लाईट शुरू हो गई है. अब लखनऊ तक जाने की जरुरत नहीं..!!

रविवार, नवंबर 14, 2010

नेहरू चाचा आओ ना..


आज बाल-दिवस है. मम्मा बता रही थीं कि आज ही हमारे प्रथम प्रधानमंत्री नेहरु चाचा का जन्म हुआ था. वे हम बच्चों से बहुत प्यार करते थे और बच्चे उन्हें प्यार से चाचा कहा करते थे. तभी तो उनका जन्म दिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है. आज बाल-दिवस पर पापा की इक प्यारी सी कविता पोस्ट कर रही हूँ. आप बताइयेगा कि यह कैसी लगी-

नेहरू चाचा आओ ना
दुनिया को समझाओ ना
बच्चे कितने प्यारे होते
कोई उन्हें सताए ना ।

नेहरू चाचा आओ ना
मधु मुस्कान दिखाओ ना
तुम गुलाब की खुशबू से
बचपन को महकाओ ना ।

नेहरू चाचा आओ ना
उजियारा फैलाओ ना
देशभक्त हों, पढें-लिखें
ऐसा पाठ पढा़ओ ना ।

नेहरू चाचा आओ ना।

बुधवार, नवंबर 10, 2010

अक्षिता (पाखी) दीदी बन गई...

आज बहुत दिन बाद अपना ब्लॉग देख रही हूँ. अब आप पूछेंगें क्यों....चलिए बता ही देती हूँ. मैं दीदी बन गई हूँ. मेरे घर में मेरी प्यारी सी बहना जो आ गई है. ये रही नन्हीं-मुन्नी प्यारी सी मेरी सिस्टर, जो अब मुझे दीदी कहकर बुलाएगी.
इसका जन्म 27 अक्तूबर, 2010 की रात्रि 11: 10 पर बनारस के हेरिटेज हास्पिटल में हुआ. पहले हम लोग पोर्टब्लेयर से अपने ददिहाल आजमगढ़ गए और फिर ननिहाल सैदपुर (गाजीपुर). और पापा पहुँचे 24 अक्तूबर की रात में. तब तक तो ममा बनारस के हेरिटेज हास्पिटल में एडमिट हो चुकी थीं. साथ में नानी और मौसी भी थीं. ..और हाँ डाक्टर आंटी तो हम लोगों का खूब ख्याल रखती थीं. थीं. उनका नाम था मेजर (डा0) अंजली रानी. दीदी बनने के बाद तो मैं बहुत खुश हूँ. आज तो यह पूरे 15 दिन की हो गई. मुझे लगता है कि कोई प्यारा सा ट्वॉय मिल गया, जिसके साथ खूब खेलूँगी...मस्ती करुँगी. अभी तो सारा दिन कोशिश करती हूँ कि मेरा ट्वॉय मेरी गोद में रहे. अब बस इंतजार है कि कब हम लोग पोर्टब्लेयर पहुंचेंगे. यहाँ तो ठंडी आ चुकी है, वहाँ तो मौसम अभी बहुत प्यारा होगा...अले, मेरा ट्वॉय रो रहा है, मैं तो चली उसे चुप कराने...अब तो उसके बारे में आपको ढेर सारी बातें बताऊन्गी !!

शुक्रवार, नवंबर 05, 2010

दीवाली का त्यौहार आया...


आज तो दीपावली है. ढेर सारी फुलझड़ियाँ छुड़ाने का दिन. पटाखों से तो मुझे बहुत डर लगता है. उनकी आवाज़ सुनकर तो मैं अपने कान बंद कर लेती हूँ...
और हाँ, आज तो लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा भी होगी और फिर ढेर सारी मिठाइयाँ भी. लक्ष्मी-गणेश जी के स्वागत के लिए ही तो घर में सफाई अभियान भी छिड़ा हुआ है. पूजा के बाद ढेर सारे दिए जलाये जायेंगे..कित्ता अच्छा लगता है. मानो सारे तारे ही जमीं पर आ गए हों. उस पर से झिलमिल करती झालरें और मोमबत्तियां...वाह ! मम्मा बता रही थीं की इसी दिन भगवान श्री राम अयोध्या लौटे थे और इस ख़ुशी में अयोध्यावासियों ने दीये जलाकर उनका स्वागत किया था, तभी से दीपावली मनाई जाती है. मैं तो चली दीपावली की तैयारियाँ करने..मतलब ममा का साथ देने।

आप सभी को दीपावली की खूब बधाइयाँ और प्यार !!