आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

रविवार, दिसंबर 18, 2011

छम-छम नाचा मोर


आजकल स्कूल में ढेर सारी कविताएँ पढाई जाती हैं. घर पर आकर मैं उन्हें खूब गुनगुनाती हूँ. इसे आप भी मेरे साथ गुनगुनाइए-

नीले अम्बर पर फिर छाई
इक घटा घनघोर
ठंडी-ठंडी हवा चली
और छम-छम नाचा मोर !

देखके इतना सुन्दर पक्षी
मेरे मन में आया
वो भी कितना सुन्दर होगा
जिसने इसे बनाया !!

6 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्यारी कविता, प्यारा पंछी, प्यारी पाखी।

रेखा ने कहा…

सुन्दर चित्र (राष्ट्रीय पक्षी ) के साथ सुन्दर कविता.....

दीनदयाल शर्मा ने कहा…

नर पंछी मादा से सुन्दर,
बरखा में नाच दिखाए.
जो देखे मन मोह ले उसका,
राष्ट्रपक्षी कहलाये..
- दीनदयाल शर्मा.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

पाखी तो आजकल स्कूल में खूब राइम सीख रही है..ऐसे ही जीवन का पाठ भी पढ़ते जाना है. आशीर्वाद.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

Yah Mor to vakai bahut pyara hai.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

Sundar kavita sikhi apne..badhai.