आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

सोमवार, जुलाई 30, 2012

ममा का हैपी बर्थ-डे

आज 30 जुलाई को ममा का हैपी बर्थ-डे है. पहले तो सोचा था कि स्कूल से आकर ममा का बर्थ-डे सेलिब्रेट करेंगें, पर सुबह-सुबह मैसेज आया कि आज रेनी-डे के चलते हालीडे है...हुर्रे. अब तो दुगुना इन्जोय्मेंट. कल वैसे भी सन्डे था. ममा के बर्थ-डे का मुझे बेसब्री से इंतजार रहता है. आखिर हो भी क्यों न, आखिर मेरी ममा इत्ती प्यारी और केयरिंग जो है. पर आज तो मुझे ही ममा की केयर करनी पड़ेगी. इलाहबाद आने के बाद ममा का पहला बर्थ-डे हम लोग सेलिब्रेट कर रहे हैं. इस समय यहाँ दादू और चाचू भी आए हुए हैं.Many-many Happy Returns of the day to Sweet Mumma from Akshitaa & Apoorva !!

शनिवार, जुलाई 28, 2012

पाखी की बिल्ली




पाखी ने बिल्ली पाली.
सौंपी घर की रखवाली.

फिर पाखी बाज़ार गयी.
लाये किताबें नयी-नयी.

तनिक देर जागी बिल्ली.
हुई तबीयत फिर ढिल्ली.

लगी ऊंघने फिर सोयी.
सुख सपनों में थी खोयी.


मिट्ठू ने अवसर पाया.
गेंद उठाकर ले आया.

गेंद नचाना मन भाया.
निज करतब पर इठलाया.


घर में चूहा आया एक.
नहीं इरादे उसके नेक.

चुरा मिठाई खाऊँगा.
ऊधम खूब मचाऊँगा.


आहट सुन बिल्ली जागी.
चूहे के पीछे भागी.

झट चूहे को जा पकड़ा.
भागा चूहा दे झटका.


बिल्ली खीझी, खिसियाई.
मन ही मन में पछताई.

अगर न दिन में सो जाती.
खो अवसर ना पछताती.

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सोमवार, जुलाई 09, 2012

शुरू हो गए स्कूल...

आज से मेरी छुट्टियाँ ख़त्म स्कूल शुरू हो गया. दो माह की इन छुट्टियों में मैंने खूब मस्ती की और घूमी-फिरी. कई नई जगहें भी देखने को मिलीं और नई-नई बातें भी सीखने को मिलीं. यहाँ इलाहाबाद में तो इत्ती गर्मी पड़ रही थी कि पूछिये मत. अब जाकर बारिश ने राहत दी है. इसी गर्मी के चलते तो हम लोगों का स्कूल खुलना भी टलता रहा. पर अब बारिश के साथ ही स्कूल भी खुल गए.पहले दिन ही हम बच्चों ने क्लास में खूब धमा-चौकड़ी की. एक दूसरे से हम लोगों ने पूछा कि कौन कहाँ-कहाँ घूमने गया था. अभी तो मुझे यहाँ क्लास ज्वाइन किए हुए ज्यादा दिन नहीं हुए हैं, पर कुछेक दोस्त तो बन ही गई हैं. सब लोग अपने बारे में बता रहे थे, मैंने भी बताया. पर इसका मतलब यह थोड़े ही कि पढाई बिलकुल नहीं हुई. पढाई भी हुई, क्लास-वर्क भी हुआ और होम-वर्क भी मिला. अब तो खूब मन से पढना है. अगले साल मुझे क्लास-I में जो जाना है !!

शनिवार, जुलाई 07, 2012

आज 'मैंगो डे' है...

आपको आम अच्छे लगते हैं...आखिर किसे अच्छे नहीं लगेंगें. फलों का रजा आम तो मुझे बहुत पसंद है. अंडमान में तो साल भर में तीन बार आम की फसल होती थी, खूब आम खाती थी. यहाँ इलाहाबाद में भी खूब आम खा रही हूँ. दो आम के पेड़ तो हमारे लान में ही लगे हुए हैं. उनके सारे आम तोड़कर हजम कर चुकी हूँ. आम को बौर से लेकर अमिया और फिर पीले-पीले पकना देखना बड़ा अच्छा लगा. इसी बहाने मैंने यह भी जाना कि आम की फसल पैदा कैसे होती है.
आपको पता है कि आज 'मैंगो-डे' है. लेकिन इसका मतलब यह थोड़े ही है कि इसे सिर्फ आज के दिन ही खाना है. जब भी मन में आए, खूब आम खाइए..मैं तो चली आम खाने ...!!