आप सब 'पाखी' को बहुत प्यार करते हैं...

सोमवार, सितंबर 30, 2013

दुनिया भर में छाई 'पाखी की दुनिया'

प्रतिष्ठित दैनिक 'अमर उजाला' द्वारा युवाओं के लिए प्रकाशित साप्ताहिक "अमर उजाला युवान" (28 सितम्बर, 2013) में मेरे ब्लॉग 'पाखी की दुनिया' के बारे में प्रथम पेज पर ही एक आलेख प्रकाशित है। इसे दुनिया भर में छाई 'पाखी की दुनिया' शीर्षक से प्रकाशित किया गया है। इसे आप भी यहाँ देख-पढ़ सकते हैं- 


Akshita (Pakhi) : पाखी की दुनिया को आप फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं :

रविवार, सितंबर 29, 2013

'जनसंदेश टाइम्स' में चहकी अक्षिता की 'नन्ही गौरैया'

इधर कई पत्र-पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ और ड्राइंग प्रकाशित हुई हैं।  'जनसंदेश टाइम्स' अख़बार (28 सितम्बर, 2013) के बाल बाड़ी पेज (सा रे ग म, पृष्ठ संख्या-9) पर मेरी (अक्षिता (पाखी) की) एक बाल -कविता 'नन्ही गौरैया' प्रकाशित हुई हैं। इसे आप भी पढ़ सकते हैं।



पर सबसे अच्छी बात तो यह रही कि इसी पेज पर ममा का भी एक आलेख 'इस होनहार बेटी को सलाम' शीर्षक से प्रकाशित हुआ है , जो  कि  उनके ब्लॉग 'शब्द-शिखर' से लिया गया है। 

शनिवार, सितंबर 28, 2013

पकड़ी जाती मेरी शैतानी


छुई-मुई सी मैं गुडिया 
सोच रही नई शैतानी 
पर हमेशा पकड़ी जाती
होती फिर मुझको हैरानी।

मम्मी-पापा की लाडली
करती हूँ अपनी मनमानी
मम्मी बोले बस भी करो
बंद करो अपनी शैतानी।

(चित्र : अपूर्वा)

शुक्रवार, सितंबर 27, 2013

काठमांडू-भ्रमण की यादें ...

अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मलेन, काठमांडू-नेपाल (13-15 सितम्बर) के दौरान 14 सितम्बर को हमने वहाँ के प्रमुख स्थानों का दर्शन भी किया। इनमें पशुपतिनाथ मंदिर, स्वयंभू नाथ स्तूप, श्री बूढ़ा नीलकंठ विष्णु भगवान, पाटन कृष्ण मंदिर, पाटन  दरबार स्कवायर ....सहित तमाम प्रमुख स्थल शामिल थे। आप भी देखिए कुछेक यादगार तस्वीरें। 

श्री बूढ़ा नीलकंठ विष्णु भगवान

                                        श्री बूढ़ा नीलकंठ विष्णु भगवान मंदिर परिसर में सपरिवार।

CRAFTIES NEPAL के समक्ष पापा श्री कृष्ण कुमार यादव और अपूर्वा।


CRAFTIES NEPAL के समक्ष ममा और मैं (अक्षिता)

नेपाल में 14 सितम्बर को बाल-दिवस मनाया जाता है। उस दिन बच्चों द्वारा निकाला गया एक शो।
पाटन  दरबार स्कवायर में सपरिवार।
पाटन  दरबार स्कवायर में सपरिवार।

पाटन दरबार स्कवायर स्थित पाटन कृष्ण मंदिर के समक्ष।
पाटन दरबार स्कवायर के समक्ष लगे शिला पट्ट के सामने खड़े पापा और अपूर्वा।

 स्वयंभू नाथ स्तूप के समक्ष। 

रविवार, सितंबर 22, 2013

बेटियों के प्रति नजरिया बदलने की जरुरत (डाटर्स-डे पर विशेष)

आज डाटर्स डे है, यानि बेटियों का दिन. यह सितंबर माह के चौथे रविवार को मनाया जाता है अर्थात इस साल यह 22  सितम्बर को मनाया जा रहा है. गौरतलब है कि चाईल्‍ड राइट्स एंड यू (क्राई) और यूनिसेफ ने वर्ष 2007 के सितंबर माह के चौथे रविवार यानी 23 सितंबर, 2007 को प्रथम बार 'डाटर्स-डे' मनाया था, तभी से इसे हर वर्ष मनाया जा रहा है. 

इस पर एक व्यापक बहस हो सकती है कि भारतीय परिप्रेक्ष्य में इस दिन का महत्त्व क्या है, पर जिस तरह से अपने देश में लिंगानुपात कम है या भ्रूण हत्या जैसी बातें अभी भी सुनकर मन सिहर जाता है, उस परिप्रेक्ष्य में जरुर इस दिन का प्रतीकात्मक महत्त्व हो सकता है. दुर्भाग्यवश हर ऐसे दिन को हम ग्रीटिंग्स-कार्ड, गिफ्ट और पार्टियों से जोड़कर देखते हैं. कार्पोरेट कंपनियों ने ऐसे दिनों का व्यवसायीकरण कर दिया है. बच्चे उनके माया-जाल में उलझते जा रहे हैं. डाटर्स डे की महत्ता तभी होगी, जब हम यह सुनिश्चित कर सकें कि-

१- बेटियों को इस धरा पर आने से पूर्व ही गर्भ में नहीं मारा जाना चाहिए। 

२- बेटियों के जन्म पर भी उतनी ही खुशियाँ होंनी चाहिए, जितनी बेटों के जन्म पर।

३- बेटियों को घर में समान परिवेश, शिक्षा व व्यव्हार मिलना चाहिए. (ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी दोयम व्यवहार होता है)।

४- यह कहना कि बेटियां पराया धन होती हैं, उचित नहीं प्रतीत होता. आज के दौर में तो बेटे भी भी शादियों के बाद अपना अलग घर बसा लेते हैं।

५- बेटियों को दहेज़ के लिए प्रताड़ित करने या जिन्दा जलाने जैसी रोगी मानसिकता से समाज बाहर निकले।

६- बेटियां नुमाइश की चीज नहीं बल्कि घर-परिवार और जीवन के साथ-साथ राष्ट्र को संवारने वाली व्यक्तित्व हैं।

७-पिता की मृत्यु के बात पुत्र को ही अग्नि देने का अधिकार है, जैसी मान्यताएं बदलनी चाहियें. इधर कई लड़कियों ने आगे बढ़कर इस मान्यता के विपरीत शमशान तक जाकर सारे कार्य बखूबी किये हैं।

८-वंश पुत्रों से ही चलता है. ऐसी मान्यताओं का अब कोई आधार नहीं. लड़कियां अब माता-पिता की सम्पति में हक़दार हो चुकी हैं, फिर माता-पिता का उन पर हक़ क्यों नहीं. आखिरकार बेटियां भी तो आगे बढ़कर माता-पिता का नाम रोशन कर रही हैं.

....यह एक लम्बी सूची हो सकती है, जरुरत है इस विषय पर हम गंभीरता से सोचें की क्या बेटियों के बिना परिवार-समाज-देश का भविष्य है. बेटियों को मात्र बातों में दुर्गा-लक्ष्मी नहीं बनायें, बल्कि वास्तविकता के धरातल पर खड़े होकर उन्हें भी एक स्वतंत्र व्यक्तित्व का दर्ज़ा दें. बात-बात पर बेटियों की अस्मिता से खिलवाड़ समाज और राष्ट्र दोनों के लिए घातक है. बेटियों को स्पेस दें, नहीं तो ये बेटियां अपना हक़ लेना भी जानती हैं. आज जीवन के हर क्षेत्र में बेटियों ने सफलता के परचम फैलाये हैं, पर देश के अधिकतर भागों में अभी भी उनके प्रति व्यवहार समान नहीं है. समाज में वो माहौल बनाना चाहिए जहाँ हर कोई नि: संकोच कह सके- अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजौ !!


अपूर्वा के फर्स्ट एक्जाम्स

मेरे  हाफ-ईअरली एक्जाम्स 19  सितम्बर  को ख़त्म हो गए।  दो दिन की हाली डे और फिर से क्लासेज आरंभ।

अपूर्वा तो पहली बार स्कूल्स  एक्जाम दे रही है। फ़िलहाल ये प्ले-ग्रुप में हैं और 30 सितम्बर को इनके एक्जाम्स ख़त्म होंगें।

अपूर्वा तो अपने क्लास में काफी अच्छा परफार्म कर रही हैं। अपूर्वा अक्टूबर में 3 साल की हो जाएंगी।





फ़िलहाल दो दिन की हालिडेज हमने खूब इंजॉय की। सटरडे को 'फटा पोस्टर निकला हीरो' तो आज संडे को 'लंच बाक्स' देखी ....अब कल से फिर से पढाई पर ध्यान ...!!

मंगलवार, सितंबर 17, 2013

अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मलेन, काठमांडू-नेपाल में नन्ही ब्लागर का प्रतिनिधित्व

अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर  सम्मलेन, काठमांडू-नेपाल (13-15 सितम्बर) में जहाँ बड़े लोगों ने भागीदारी की, वहीँ बाल-ब्लागर के रूप में सिर्फ हमने  भागीदारी की। पूरे कांफ्रेंस में हम सबसे छोटे थे और हमसे छोटी थीं अपूर्वा। हमने भी सबकी बातें सुनीं, घूमे-फिरे और इंजॉय किया। आप भी देखिये - 


नन्ही ब्लागर अक्षिता (पाखी) को पुष्प-गुच्छ देकर सम्मानित करते  अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर  सम्मलेन, काठमांडू-नेपाल के संयोजक रवीन्द्र प्रभात अंकल जी के सुपुत्र।



बड़ों के साथ -साथ नन्ही ब्लागर का प्रतिनिधित्व।


ग्रुप फोटोग्राफ : तृतीय अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर सम्मलेन, काठमांडू


अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन, काठमांडू (13 सितम्बर, 2013 ) में पापा कृष्ण कुमार यादव जी को ''परिकल्पना साहित्य सम्मान'' से विभूषित करते नेपाल सरकार के पूर्व मंत्री तथा संविधान सभा के अध्यक्ष अर्जुन नरसिंह केसी जी । साथ में परिकल्पना के संयोजक रवीन्द्र प्रभात अंकल जी।


 अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन, काठमांडू (13 सितम्बर, 2013 ) में ममा आकांक्षा यादव जी को ''परिकल्पना ब्लॉग विभूषण'' से सम्मानित  करते नेपाल सरकार के पूर्व मंत्री तथा संविधान सभा के अध्यक्ष अर्जुन नरसिंह केसी जी। साथ में परिलक्षित हैं- पापा श्री कृष्ण कुमार यादव जी , अक्षिता व अपूर्वा, परिकल्पना के संयोजक रवीन्द्र प्रभात अंकल जी  और वरिष्ठ नेपाली साहित्यकार कुमुद अधिकारी अंकल जी।


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नेपाल सरकार के पूर्व मंत्री तथा संविधान सभा के अध्यक्ष अर्जुन नरसिंह केसी जी और पापा के साथ।


फुर्सत के पल :  अक्षिता (पाखी) के साथ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  नेपाल सरकार के पूर्व मंत्री तथा संविधान सभा के अध्यक्ष अर्जुन नरसिंह केसी जी।


नेपाली शिक्षा परिषद् का वह हाल जहाँ कार्यक्रम हुआ, के सामने अंकित पिलर। साथ में पापा और अपूर्वा।

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सोमवार, सितंबर 16, 2013

बनारस से काठमांडू की यात्रा

हमने पिछली पोस्ट में अपने काठमांडू जाने की चर्चा की थी। हम 12 सितम्बर को बनारस से काठमांडू निकले। सच कहिये तो यह मेरी पहली विदेश यात्रा हो गई, वैसे लुम्बिनी तक तो हम पहले ही हो आए हैं। एक लम्बे समय बाद एरोप्लेन से यात्रा और काठमांडू के मौसम ने अंडमान की याद दिला दी। तो चलिए, कुछ यादगार पिक्चर आपसे शेयर करते हैं।



लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट, बाबतपुर, वाराणसी के वीआईपी लाउंज में ममा और अपूर्वा के साथ।


लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट, बाबतपुर, वाराणसी के वीआईपी लाउंज में एयरपोर्ट मैगज़ीन पढने में तल्लीन पापा


बोर्डिंग से पहले लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट, बाबतपुर, वाराणसी पर अक्षिता (पाखी).


बोर्डिंग से पहले लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट, बाबतपुर, वाराणसी पर पापा।


तो अब यात्रा आरंभ हो गई ...वाराणसी से काठमांडू जाने के लिए तैयार : एयर इण्डिया के विमान में अपूर्वा और अक्षिता (पाखी)


एरोप्लेन से कुछ यूँ दिखा  बाबतपुर का दृश्य।


बादलों के बीच अद्भुत दृश्य।


अब नीचे काठमांडू दिखने लगा है ...खूबसूरत शहर।


वाह, कितनी सुन्दर घाटियाँ (Vallies). इन घाटियों के बीच ही बसी  है नेपाल की राजधानी काठमांडू।


अब तो एरोप्लेन विंडो से काठमांडू पूरा साफ दिखने लगा है। ढेर सारे मकान, गाड़ियाँ और लोग। 


यह लीजिये, हम पहुँच गए नेपाल के काठमांडू स्थित त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर।



बाय-बाय एंड थैंक्स एयर इण्डिया।




विमान से उतरकर अब चले हम एयरपोर्ट से बाहर।


...और लीजिये हम पहुँच गए काठमांडू स्थित अपने होटल में।

अब तो हम थक भी गए हैं। कल 13 सितम्बर को हमें 'अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर सम्मलेन' भी तो अटेंड करना है। कल आपको उसकी भी पिक्चर्स दिखायेंगे ...तब तक के लिए गुड-नाईट एंड बाय !!

मंगलवार, सितंबर 10, 2013

काठमांडू में ब्लागर्स सम्मान : आप आ रहे हैं

आप काठमांडू चल रहे हैं ? फ़िलहाल मैंने तो अपना ट्रिप बना लिया है। अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन (13-14 सितम्बर, 2013 ) में ममा-पापा का सम्मान और हमारी आउटिंग। एक लम्बा समय हो गया प्लेन की यात्रा किए हुए, इस बार एरोप्लेन का आनंद भी उठाते हैं । जब अंडमान में थे तो एरोप्लेन, सी-प्लेन, हेलीकाप्टर, शिप रोजमर्रा की बातें लगते थे, पर यहाँ तो रोड-जर्नी ही ज्यादा होती है।

पिछले दिनों लुम्बिनी गई थी तो मन में यह आया था कि काठमांडू भी जाएंगे और लीजिये हमारी इच्छा पूरी हो गई। पर दुःख इस बात का है की इसके चलते हमें अपने एक्जाम्स के दो पेपर ड्राप करने होंगें। पर कोई बात नहीं, अन्य पेपर में उसको रिकवर कर लेंगे।

ममा-पापा को 'परिकल्पना ब्लॉग विभूषण' और 'परिकल्पना साहित्य सम्मान'  मिलने की ख़बर कई अख़बारों में भी प्रकाशित हुई  हैं, आप भी देख-पढ़ सकते हैं। 
   













 http://epaper.jagran.com/ePaperArticle/24-aug-2013-edition-Allahabad-City-page_6-11494-6280-79.html